Karan Katiyar

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मन की कल्पना

मन की कल्पना


मन में है जो बयां नहीं कर सकता
मन के भीतर है वह दिखा नहीं सकता
सपना है मेरा फौजी बनने का
जब तक पूरा नहीं होता तब तक जता नहीं सकता.

माना कि इसमें खतरा है ज्यादा
पर जो खून वतन के काम ना आए
वह खून खून कम है और पानी है ज्यादा

जिस मिट्टी में पैदा हुए
एक बार उसी में दफन हो जाओगे
अरे जिंदगी मिली है तो
कुछ करके जाओ ऐसा,
कि लोग कहे काश हर व्यक्ति हो इसके जैसा.......

आप कितने खास हो
ये आपको अहसास हो
आपका वतन याद करे आपको
और कहे हर एक फौजी
आपके जैसा हमारे पास हो !

मेरा ये एक ऐसा सपना है
इसे याद करके ऐसा लगता है
कि ये शिर्फ़ अपना है

एक सवाल मन में जब आता है, 
मेरा मन उत्साह से भर जाता है, 
क्या ये सपना भी मेरा अपना है,
हर कोई फौजी बनना चाहता है,
देश की मरते दम तक सेवा करना चाहता है,
पर क्या हर कोई फौजी बन पाता है, 
इस देश की सेवा कर पाता है, 
फौजी बनने का सपना सजा रहा हूँ मैं, 
मेरे मन की कल्पना
कविता के माध्यम से बता रहा हूँ।।

धन्यवाद....♥️


-- करन कटियार.....

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 03:56 PM

बेहतरीन रचना

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Neelam josi

21-May-2022 03:17 PM

Very nice 👍🏼

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Reyaan

20-May-2022 07:22 PM

👏👌

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